अगर ध्यान से हम इस सवाल को देखे तो इस सवाल का जबाब इस प्रश्न में ही हमे मिल चूका हैं | श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् थे और वो जीवन के एक परम सत्य से भली प्रकार वाकिफ थे की मृत्यु इंसान के जीवन का सबसे बड़ा सच हैं और जिसका जब समय आ जाता हैं उसे उसी पल अपना शरीर छोड़कर कर जाना ही होता हैं, इसमें किसी के चाहने या ना चाहने से कोई फरक नहीं पड़ता | कृष्णा भगवान् होने के नाते इस प्रकृति के मोह और माया के बंधन से पूर्णत: मुक्त थे | इसीलिए अपने प्रिय भांजे जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी गोद में खिलाया था और जिसे शिक्षा भी स्वयं श्रीकृष्ण ने ही दी थी, की मृत्यु का समय आने पर उसमे दखल नहीं दिया व मन में धैर्य रखकर युद्ध में डंटे रहे | अब जरा आप ही सोचिये जिस महापुरुष ने युद्ध प्रारम्भ होने के ठीकपहले जिस अर्जुन को गीता का महाज्ञान दिया , वह श्रीकृष्ण ही अपने भांजे की मृत्यु के समय मोह में पड़ जाते तो शायद गीता के ज्ञान का कोई मोल ही नहीं रह जाता |
दोस्तों ज्ञान देना और ज्ञान लेना थोड़ा आसान हो सकता हैं लेकिन उस पर अमल करना बहुत मुश्किल होता हैं, और इस पर सिर्फ कुछ महान लोग हो अमल कर पाते हैं | जय श्री कृष्णा |
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